वेटरनरी विश्वविद्यालय में दशाब्दी वर्ष समारोह का आयोजन
जैविक पशुपालन, देशी गौवंश और पशु रोग निदान सेवाओं से
पशुपालकों को मिलेगा लाभ : कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा
बीकानेर, 18 मई। वेटरनरी विश्वविद्याालय के दसवें स्थापना दिवस पर शताब्दी समारोह के पहले दिन वेटरनरी विश्वविद्यालय द्वारा भैंस और गौवंश के केन्द्रीय अनुसंधान संस्थानों के साथ दो अलग-अलग करार (एम.ओ.यू.) करके पशुओं के बांझपन निवारण और श्वानों में एंटी रेबीज टीकाकरण के निःशुल्क चिकित्सा शिविर आयोजित किये गए। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा और अतिथियों ने वर्ष पर्यन्त चलने वाले शताब्दी समारोह के ‘लोगो‘ और नवोदित पशुचिकित्सकों के लिए ई-बुलेटिन का विमोचन किया। इस अवसर पर वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने कहा कि वेटरनरी विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के दशाब्दी वर्ष में नए संकल्प योजनाओं और कार्य संस्कृति के साथ आगे बढेगा। विश्व में पशु विज्ञान के क्षेत्र में अंतरिक्ष आधारित तकनीक और अभियांत्रिकी व प्रौद्योगिकी केन्द्रों की स्थापना करने वाला पहला विश्वविद्यालय बना है। विश्वविद्यालय अपनी उत्कृष्ट पशुचिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा सेवाओं और अनुसंधान तकनीकों की बदौलत दक्षिण-पूर्वी एशिया में पशुचिकित्सकों के प्रशिक्षण का भी केन्द्र बन गया है।
कुलपति प्रो. शर्मा ने कहा कि राज्य में दशाब्दी वर्ष के उपलक्ष में पशुचिकित्सा शिक्षा जागरूकता अभियान के साथ-साथ जैविक पशुपालक संवेदीकरण, देशी गोवंश प्रदर्शन और पशुरोग निदान सेवाओं के माध्यम से किसानों और पशुपालकों को लाभान्वित किया जाएगा। सभी संकायों में कौशल विकास और शैक्षिक संसाधनों का सुद्दढीकरण करके गुनवत्तायुक्त शिक्षण और अनुसंधान कार्यों को प्राथमिकता से लागू किया जाएगा। समारोह के मुख्य अतिथि संस्थापक एवं पूर्व कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत ने कहा कि वेटरनरी विश्वविद्यालय द्वारा गत 9 वर्षों में कायम की गई उत्कृष्टता की रफ्तार को आगे बढ़ाने की हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि देश में राजुवास की एक ब्रान्ड रूप में पहचान बनी है। समारोह के विशिष्ट अतिथि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भागीरथसिंह बिजारणियां ने कहा कि वेटरनरी विश्वविद्यालय ने पशुचिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय ने पशुचिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में विश्व में नए कीर्तिमान स्थापित कर देश में नाम रोशन किया है। दशाब्दी वर्ष को चुनौति के रूप में संकल्प के साथ आगे ले जाने की जरूरत है। बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एच.डी. चारण ने कहा कि आने वाला दशक पशुपालन और कृषि का है। तकनीकी विश्वविद्यालय राजुवास के साथ मिलकर कार्य करने का इच्छुक है। विशिष्ट अतिथि के रूप में केन्द्रीय गौवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ के निदेशक डॉ. एनवी. पाटिल ने बताया कि संस्थान में भ्रूण प्रत्यारोपण, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन और देशी गोवंश की 43 विभिन्न प्रजातियों के अनुसंधान का लाभ एम.ओ.यू. होने से राजुवास को लाभ मिलेगा। केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार के निदेशक ने वेटरनरी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और फैकल्टी के लिए संस्थान में उन्नत तकनीकी और अनुसंधान सेवाएं सुलभ हैं। कुलपति प्रो. शर्मा और अतिथियों ने पशुचिकित्सा शिक्षा और साथ के प्रति युवाओं को आकर्षित करने के लिए राजुवास जनसम्पर्क प्रकोष्ठ द्वारा तैयार “पशुचिकित्सक कैसे बनें और पशुचिकित्सा शिक्षा के आयाम” नामक पैम्फलैट का विमोचन किया। अधिष्ठाता प्रो. राकेश राव ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर डीन-डायरेक्टर फैकल्टी सदस्य, कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित थे। तीनों संगठक महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने इस अवसर पर रंगारग प्रस्तुतियां दी। स्थापना दिवस पर श्वानों का एक दिवसीय एंटी रेबीज टीकाकरण शिविर में कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने एक श्वान का टीकाकरण करके शिविर का शुभारंभ किया। यह आयोजन महावीर इंटरनेशनल के सौजन्य से किया गया। पशुधन अनुसंधान केन्द्र बीछवाल में जैविक पशुपालन कृषक गोष्ठी में लगभग 70 पशुपालकों ने भाग लिया। दशाब्दी वर्ष के उपलक्ष में वेटरनरी विश्वविद्यालय के सभी पशुधन अनुसंधान केन्द्रों, पशुचिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केन्द्रों पर पशुपालक गोष्ठियां और पशुरोग निदान परीक्षण और बीकानेर, नवानियां (उदयपुर) और जयपुर के पशुचिकित्सा महाविद्यालयों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गए।
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